वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से संबंधत बार-बार पूछे जाने वाले प्रश्न

वस्तु एवं सेवा कर (जीएसट) से संबंधत प्रायः पूछे जाने वाले के उत्‍तर इस प्रकार है -

प्रश्न : 1. जीएसटी क्या है और यह किस प्रकार काम करता है ?

उत्तर : जीएसटी पूरे देश के लिए एक अप्रत्यक्ष कर है जो भारत को एकीकृत साझा बाजार बना देगा। जीएसटी विनिर्माता से लेकर उपभोक्ता तक वस्तु और सेवाओं की आपूर्ति पर एक एकल कर है। प्रत्येक चरण पर भुगतान किये गये इनपुट करो का लाभ मूल्य संवर्धन के बाद के चरण मे उपलब्ध होगा जो प्रत्येक चरण मे मूल्य संवर्धन पर जीएसटी को आवश्यक रूप से एक कर बना देता है। अंतिम उपभोक्ता ओ

को इस प्रकार आपूर्ति शृंखला मे अंतिम डीलर द्वारा लगाया गया जीएसटी ही वहन करना होगा। इससे पिछले चरणो के सभी मुनाफे समाप्त हो जायेंगे l

प्रश्न : 2. जीएसटी से क्या लाभ है l

उत्तर : जीएसटी के लाभो को संक्षेप मे इस प्रकार बताया जा सकता है :

व्यपार और उध्योग के लिए

• आसान अनुपालन: एक मजबूत और व्यापक सूचना प्रोधोयकि प्रणाली भारत में जीएसटी व्यवस्था की नीव होगी इस लिए पंजीकरण, रीटर्न, भुगतान आदि जैसी सभी कर भुगतान सेवाए करदाताओ को ऑनलाइन उपलब्ध होगी, जिससे इसका अनुपालन बहुत सरल और पारदर्शी हो जायेगा।

• कर दरो और संरचनाओ की एकरूपता : जीएसटी यह सुनिच्श्रित करेगा कि अप्रत्यक्ष कर दरें और ढांचे पूरे देश मे एकसमान है । इससे निच्श्रितता मे तो बढ़ोतरी होगी ही व्यापार करना भी आसान हो जाएगा। दूसरे शब्दो मे जीएसटी देश मे व्यपार के कामकाज को कर तटस्थ बना देगा फ़िर चाहे व्यपार करने की जगह का चुनाव कही भी जाये।

• करों पर कराधान (कैसकेडिग) की समाप्ति - मूल्य श्रींखला और समस्त राज्यो की सीमाओ से बाहर टैक्स क्रेडिट क़ी सुचारू प्रणाली से यह सुनिच्श्रित होगा कि करो पर कम से कम कराधान हों । इससे व्यपार करने मे आने वाली छुपी _ई लागत कम होगी। प्रतिस्पर्धा मे सुधार – व्यपार करने मे लेन-देन लागत घटने से व्यपार और उध्योग के लिए प्रतिस्पर्धा मे सुधार को बढ़ावा मिलेगा l

• विनिर्मता और निर्यतको को लाभ - जीएसटी मे केन्द्र और राज्यो के करो के शामिल होने और इनपुट वस्तुएं और सेवाएं पूर्णा और पूर्णा व्यापक रुप से समाहित होने और केन्द्रिय बिक्री कर चरण रुप से बाहर हो जाने से स्थनीय रुप से निर्मित वस्तु और सेवाओ की लागत कम हो जाएगी। इससे भारतीय वस्तुओ और सेवाओ की अंतरराष्ट्रीय बाजार मे होने वाली प्रतिस्पर्धा मे बढ़ोतरी होगी और भारतीय निर्यत को भी बढ़ावा मिलेगा। पूरे देश मे कर दरो और प्रक्रियाओ की एकरुपता से अनुपालन लागत घटाने मे लंबा रास्ता तय करना होगा।

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